...

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अपने हिस्से का आसमान
आओ फिर लग जाएं इस दम घोटूं भीड़ में,
थक हार कर,मन मार कर,
और अपने अपने हिस्से का
हम थोड़ा थोड़ाआसमां ले लें,
नही तो अपने हिस्से के
चंद बादल ,सितारे और सूरज को
हम कहां रखेंगे।


© अल्फाज