ग़ज़ल
छत की फ़सील पर से ये बच्चा उतर गया
दिल से तुम्हारे इश्क़ का नश्शा उतर गया
मेरी तरफ़ चला था जो तिरछी निगाह से
वो तीर मेरे सीने में सीधा उतर गया
आँखों पे उस ने एक दफ़ा हाथ क्या रखे
मुझ को...
दिल से तुम्हारे इश्क़ का नश्शा उतर गया
मेरी तरफ़ चला था जो तिरछी निगाह से
वो तीर मेरे सीने में सीधा उतर गया
आँखों पे उस ने एक दफ़ा हाथ क्या रखे
मुझ को...