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अब वो पहली वाली बात नहीं।
अब पहली वाली बात नहीं, अब वो पहली वाली रात नहीं,पहले बचपन में नानी के घर जाते थे और आज के बच्चे मोबाइलों में रह जाते हैं, पहले रक्षाबंधन एक त्योहार के रूप में मंता था आज सिर्फ मतलब के लिए बनता है, पहले दीवाली एक त्योहार था आज दीवाली सिर्फ नाम की रह गई है, धीरे धीरे...