निःशब्द हूँ माँ ....
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूं या अम्बर लिख दूँ।
सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ, इत्र लिखूं या उपवन लिख दूँ।
न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नहीं.कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
पूजा लिखूँ या भक्ति लिख दूँ , ब्रह्मा लिखूं या शक्ति लिख दूँ
जन नही सकता सिवा तुम्हारे, पास नहीं कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
माना कि ये लिखावट मुझसे है..
पर इस क़लम में ताक़त तुझसे है।।
स्वीकार करो मेरी ह्रदय भावना
अंतर्मन से निकली जो खुद से है !
छोटा सा टुकड़ा हूँ तेरे ह्रदय का
और पाया तो ये जीवन तुझसे है ।।
आदि का पता नहीं अनन्त प्रेम है तेरा माँ !
हर शब्द तो है तुझसे, क्या शब्द लिखूँ माँ !
-ALOK Sharma
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