रोटी तो हर पेट को जरुरी है
#मजबूरी #पीकेपागल #कामिनीकाप्रेम
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
रोटी तो हर पेट को जरुरी है।
पैसा कोठे पर दिखाना मगरुरी है,
अधूरी हैं हसरतें तो कैसी अमीरी...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
रोटी तो हर पेट को जरुरी है।
पैसा कोठे पर दिखाना मगरुरी है,
अधूरी हैं हसरतें तो कैसी अमीरी...