...

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"ग़ज़ल"
अए मतलबी इश्क ठहर तो जा !
है किधर तू मुझे नजर तो आ !!

रुख-सत हो गई है खुशी मेरी !
गुजरते पलों की खबर तो ला !!

बे-सब्र हूँ तुझसे मिलने के लिए !
तुझे संभालने का सबर तो ला !!

बैठा हूँ स्याह अंधेरे की गोद में !
मेरे मुकाम का तू सफर तो ला !!

"देव" कब तक यूं ही छिपेगा उससे!
वक्त रहते उसके रूबरू तो जा !!

© Dev ek Shayar