"ग़ज़ल"
अए मतलबी इश्क ठहर तो जा !
है किधर तू मुझे नजर तो आ !!
रुख-सत हो गई है खुशी मेरी !
गुजरते पलों की खबर तो ला !!
बे-सब्र हूँ तुझसे मिलने के लिए !
तुझे संभालने का सबर तो ला !!
बैठा हूँ स्याह अंधेरे की गोद में !
मेरे मुकाम का तू सफर तो ला !!
"देव" कब तक यूं ही छिपेगा उससे!
वक्त रहते उसके रूबरू तो जा !!
© Dev ek Shayar
है किधर तू मुझे नजर तो आ !!
रुख-सत हो गई है खुशी मेरी !
गुजरते पलों की खबर तो ला !!
बे-सब्र हूँ तुझसे मिलने के लिए !
तुझे संभालने का सबर तो ला !!
बैठा हूँ स्याह अंधेरे की गोद में !
मेरे मुकाम का तू सफर तो ला !!
"देव" कब तक यूं ही छिपेगा उससे!
वक्त रहते उसके रूबरू तो जा !!
© Dev ek Shayar