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दूसरों को जानने की तरकीब
जो खुद को जान लेता है वह दूसरों को भी इसलिए जानने लग जाता है और समझने लग जाता है क्योंकि खोपड़ी तो सबकी एक ही है, जो खुद की खोपड़ी को परख लेता है, उसकी पकड़ दूसरों की खोपड़ियों पर भी हो जाती है, जिसने खुद की कलाकारियों को बड़ी बारीकी से देखा हो, वह तुरन्त ही दूसरों की कलाकारी को भी पकड़ लेता है।अगर दूसरों की खोपड़ी अलग होती तो सारे मनोविज्ञान के डाक्टर पागल हो जाते क्योंकि संसार में करोड़ों -अरबों लोगो की अलग-अलग खोपड़ी का अध्ययन करना नामुमकिन हो जाता, लेकिन मनोविज्ञान एक खोपड़ी पकड़ता है फिर सारी खोपड़ियाँ खुद ही पकड़ में आ जाती है।
© 🌍Mr Strength