वक़्त
जिदंगी के बदलते वक्त में कोन किसके साथ था ,
जरा अपने दिल से पूछिए के आपके शिर पे किसका हाथ था ,
समझ नही आता दुख के पलों केसे भुलाया जाय ,
बस जिदंगी के हर वक्त में तेरे मेरे रिस्ते का साथ निभाया जाय ,
दुख भरे दर्द की टूटे दिल की एक ही कहानी थी ,
वो आशु हरपल के लिख रहे दर्द की...
जरा अपने दिल से पूछिए के आपके शिर पे किसका हाथ था ,
समझ नही आता दुख के पलों केसे भुलाया जाय ,
बस जिदंगी के हर वक्त में तेरे मेरे रिस्ते का साथ निभाया जाय ,
दुख भरे दर्द की टूटे दिल की एक ही कहानी थी ,
वो आशु हरपल के लिख रहे दर्द की...