कितनी मोहब्बत है
कितनी मोहब्बत है कभी कह नहीं पाया,
तुम्हारे खुश चेहरे के पीछे कभी जा नहीं पाया,
हमेशा खुश ही तो देखता था उसके साथ,
इसलिए मोहब्बत का इकरार कर नहीं पाया,
बिछड़ने के अंतिम पलों में एक मुस्कान के साथ बाइ ही तो किया था तुमने,
नम हो जाती हैं आंख आज भी क्योंकि उस पल को भी मैंने संजो नहीं पाया |
तुमको भुलाकर अब मैंने भी जीना सीखा ही था
कि अचानक तुमने पीछे से...
तुम्हारे खुश चेहरे के पीछे कभी जा नहीं पाया,
हमेशा खुश ही तो देखता था उसके साथ,
इसलिए मोहब्बत का इकरार कर नहीं पाया,
बिछड़ने के अंतिम पलों में एक मुस्कान के साथ बाइ ही तो किया था तुमने,
नम हो जाती हैं आंख आज भी क्योंकि उस पल को भी मैंने संजो नहीं पाया |
तुमको भुलाकर अब मैंने भी जीना सीखा ही था
कि अचानक तुमने पीछे से...