...

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कितनी मोहब्बत है
कितनी मोहब्बत है कभी कह नहीं पाया,
तुम्हारे खुश चेहरे के पीछे कभी जा नहीं पाया,
हमेशा खुश ही तो देखता था उसके साथ,
इसलिए मोहब्बत का इकरार कर नहीं पाया,
बिछड़ने के अंतिम पलों में एक मुस्कान के साथ बाइ ही तो किया था तुमने,
नम हो जाती हैं आंख आज भी क्योंकि उस पल को भी मैंने संजो नहीं पाया |
तुमको भुलाकर अब मैंने भी जीना सीखा ही था
कि अचानक तुमने पीछे से बोला 'अभि ' तुम यहाँ,
मैं सिर्फ ' तुम' ही बोल पाया और लगा जैसे मोहब्बत के सागर में गोते लगाकर डॉल्फिन बनकर उछल रहा हूँ |
तुमने आज अपनी आपबीती, उन दिनों के वो लम्हे, उस हँसी के पीछे का सच, मुस्कराते चेहरे का सच, उसका नकाबपोश चेहरा मुझे क्यों बताया,
और उससे भी बड़ा सच जो मैं तुमसे ना कह पाया था कभी आज तुमने बयां कर दिया,
मोहब्बत तो मैंने भी की थी वरना इतनी पुरानी वो चिट्टी जो अंतिम पलों में देने के लिए थी, आज भी मेरे पास है ये,
मेरी मोहब्बत का जवाब तो मिल गया जब तुम्हारे आँखों में आंसू आ गए इसे पढ़कर |
कितनी मोहब्बत है..............




© Abhishek mishra