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ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ✍️
रेत पर फिसली हमारी कश्तियां ।
और जा पहुंची लहर की बस्तियां ।
याद हम भी हैं नहीं करते उसे,
हमको भी आती नहीं हैं हिचकियां।
जंग है गर ज़िंदगी तो तुम लडो,
तोड डालो मुश्किलों की बेड़ियां।
कर नहीं पाए जिन्हें पूरा कभी,
ले रहीं हैं ख्वाहिशें वो सिसकियां।
रूप रंगों की है दुनिया रूह! यह,
फूल पर फूली समाई तितलियां।
2122 2122 212
रेत पर फिसली हमारी कश्तियां ।
और जा पहुंची लहर की बस्तियां ।
याद हम भी हैं नहीं करते उसे,
हमको भी आती नहीं हैं हिचकियां।
जंग है गर ज़िंदगी तो तुम लडो,
तोड डालो मुश्किलों की बेड़ियां।
कर नहीं पाए जिन्हें पूरा कभी,
ले रहीं हैं ख्वाहिशें वो सिसकियां।
रूप रंगों की है दुनिया रूह! यह,
फूल पर फूली समाई तितलियां।
2122 2122 212
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