...

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रिश्ते,,,🍁
जो नाप तौल कर यहां रिश्ते को निभाते हैं
वही लोग उजालों में अक्सर मुकर जाते हैं

जो जलाते हैं खुद को अंधी कोठरियों में
वही अब्दी में मशाल ए मुकद्दर उठाते हैं

हम दिन रात दुआ करते हैं तुमसे मुलाकात को
और तुम को आसानी से हो हम मयस्सर जाते हैं

रखते नहीं जो किनारों से लगाव अपने बहाव में
वही नन्हे दरिया वक्त के साथ हो समंदर जाते हैं

औकात जब बदलती है आपकी बाज़ार में
लोगो के आंख से दिखते बदल मंजर जाते हैं

ना किया कर वक्त वे वक्त जिक्र उसका
सोते हुए ज़ख्म मेरे उबर अकसर जाते हैं

© char0302