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चाय के नाम एक पत्र...
24 जुलाई, 2020
प्रिय चाय,
मैं तुम्हारे बारे में आखिर क्या कहूँ और अगर कहूँ तो कहाँ से इसकी शुरुआत करूँ, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा फिर भी आज की इस सुनहरी ,खुशनुमा, यादगार शाम पर तुम्हारे लिए अपने अंतर्मन की गहराइयों से कुछ दो - चार बातें तुमसे साझा करने की बहुत ही इच्छा हुई है तो तुमसे बस मेरा इतना ही अनुरोध है, मेरे मनोभावों को थोड़ा ध्यान से सुनना और अगर तुझे मेरे मनोभाव तनिक भी पसंद आये तो अपने विचार हमसे जरूर साझा करना।।
तुम मेरी जिंदगी का एक बहुत ही अहम् हिस्सा हो। जब भी तुम सुबह और शाम अक्सर दोनों वक्त नहीं मिलती हो तो तुम्हारी कमी खलती है मुझे , चाहे मैं घर पर रहूँ या घर से बाहर और वो भी अगर मौसम ठंड का रहे या बर्षात का या फिर गर्मी का। सच कहूँ तो तुम्हारी एक घूंट मेरे थके - हारे शरीर में एक नई जान फूंक देती है चाहे तुम "लेमन टी ","ग्रीन टी", "प्लेन मिल्क टी" या फिर " मसाला टी " के रुप में रहो। तुम अपने हर रुप से मेरे मन को मोहित कर लेती है। और जब परीक्षा की तैयारियों के बीच या फिर मेरी जिम्मेदारियों के निर्वहन के समय में अपनी एक घूंट से मेरी बंद होती आंखों से नींद को भगाकर एक सच्चा मित्र होने का फर्ज जो निभाती हो ना,उसके बारे में क्या कहूँ , पूरी तरह से कायल हो जाती हूँ मैं तुम्हारी । जब अपने पूरे परिवार के साथ तुम्हारे स्वाद का लुफ्त उठाने को मिल जाता है ना, तब तो मन मेरा और भी ज्यादा आनंदित हो उठता है। वाकई में तुम बहुत ही कमाल की चीज हो।।
—Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
© All Rights Reserved
प्रिय चाय,
मैं तुम्हारे बारे में आखिर क्या कहूँ और अगर कहूँ तो कहाँ से इसकी शुरुआत करूँ, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा फिर भी आज की इस सुनहरी ,खुशनुमा, यादगार शाम पर तुम्हारे लिए अपने अंतर्मन की गहराइयों से कुछ दो - चार बातें तुमसे साझा करने की बहुत ही इच्छा हुई है तो तुमसे बस मेरा इतना ही अनुरोध है, मेरे मनोभावों को थोड़ा ध्यान से सुनना और अगर तुझे मेरे मनोभाव तनिक भी पसंद आये तो अपने विचार हमसे जरूर साझा करना।।
तुम मेरी जिंदगी का एक बहुत ही अहम् हिस्सा हो। जब भी तुम सुबह और शाम अक्सर दोनों वक्त नहीं मिलती हो तो तुम्हारी कमी खलती है मुझे , चाहे मैं घर पर रहूँ या घर से बाहर और वो भी अगर मौसम ठंड का रहे या बर्षात का या फिर गर्मी का। सच कहूँ तो तुम्हारी एक घूंट मेरे थके - हारे शरीर में एक नई जान फूंक देती है चाहे तुम "लेमन टी ","ग्रीन टी", "प्लेन मिल्क टी" या फिर " मसाला टी " के रुप में रहो। तुम अपने हर रुप से मेरे मन को मोहित कर लेती है। और जब परीक्षा की तैयारियों के बीच या फिर मेरी जिम्मेदारियों के निर्वहन के समय में अपनी एक घूंट से मेरी बंद होती आंखों से नींद को भगाकर एक सच्चा मित्र होने का फर्ज जो निभाती हो ना,उसके बारे में क्या कहूँ , पूरी तरह से कायल हो जाती हूँ मैं तुम्हारी । जब अपने पूरे परिवार के साथ तुम्हारे स्वाद का लुफ्त उठाने को मिल जाता है ना, तब तो मन मेरा और भी ज्यादा आनंदित हो उठता है। वाकई में तुम बहुत ही कमाल की चीज हो।।
—Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
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