उलझन
अगर मैं हो भी गयी तुम्हारी,
तो तुमको मेरी कदर ना होगी,
मैं होतीं रहूंगी ज़ार‐ज़ार और
तुमको मेरी ज़रा फिक्र ना होगी,
क्यूँ रस्ता रोके खड़े हो मेरा,
मैं...
तो तुमको मेरी कदर ना होगी,
मैं होतीं रहूंगी ज़ार‐ज़ार और
तुमको मेरी ज़रा फिक्र ना होगी,
क्यूँ रस्ता रोके खड़े हो मेरा,
मैं...