...

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तमन्ना
आओगे न फिर अंधेरी रातो ,
में दिया बनकर।
बुझी बुझी सी हु मैं
खिलखिलाओगे ना ,
मुझे रोशनी बनाकर।
शाम के आहट की
तमन्ना हो तुम
बसेरा बस गया है दिल मे
जगमगाओगे जरूर तुम।
दिन के उजाले में
सभी होते है हमसफ़र,
रातों के अंधेरे में
साथ रहोगे ना तुम।
यू तो अकेला ही है हरकोई
रब दुआ कुबूल करे हमारी
एक प्यारा हमसफ़र
सबको मिले ये ख्वाहिश है हमारी।।