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29 फरवरी
29 फरवरी वो दिन जिस दिन तुमने मुझे इतना मजबूर कर दिया की मैंने तुम्हारी जिंदगी से ख़ुद को अलग कर लिया
आज 24 अप्रैल
बहुत ज्यादा याद आ रही थी तो लगी हमारी chats पढ़ने
पढ़ते पढ़ते मुझे सिर्फ़ नज़र आई मेरी घनघोर बेज्जती
मुझे जैसे एहसास सा हुआ की तुम्हें प्यार करते करते
मैं खुद का आत्मसम्मान दरिया में बहा चुकी थी
हर बार रूठने पर मैं जाती थी तुम कभी आए ही नहीं लौटकर
हर बार जलील होने के बावजूद तुम प्यार से पुचकार देते और मैं बस सब भूलकर तुम्हें प्यार देने लगती
मैं भूल जाती की तुमने मेरी इज्ज़त मेरे ही सामने घटाई थी कल
मैं भूल जाती की मैं तुमसे बात करने के लिए , थोड़ा सा वक्त तो दे दो गिड़गिड़ाती रही थी कल
तू प्यार से बेइज्जत कर जाता और मैं फुद्दू ये देख ही नहीं पाई
बस कराती रही खुद को जलील और इतना ज्यादा कराया की भूल ही गई की प्यार ठीक हैं
मगर मैं खुद की नजरों में गिरती ही जा रही हूं

और फिर 29 फरवरी तुमने अपनी हद पार कर दी
और कहा ढूंढ लो कोई और
और उस से पहले ना जाने क्या क्या
क्यों इंतजार कर रही थी
मैंने तो नहीं कहा रुकने को
सो जाती ना
और फिर जब मैंने कहा की अब मैं तुम्हारी जिंदगी से जा रहीं हूं हमेशा हमेशा के लिए
और तुमने bye बोल दिया

तुम्हारा जाना मेरे लिए अच्छा साबित हुआ

और आज मैं यही कहना चाहती हूं की उस दिन के बाद मैं अपनी नज़रों में उठी हूं
उस दिन के बाद मैं फिर से हंसना सीखी हूं
और अब मैं तुम्हारा इंतजार नहीं करती
ईश्वर से विनती हैं की तुम कभी ना लौटकर आओ मेरी जिंदगी में ।।