29 फरवरी
29 फरवरी वो दिन जिस दिन तुमने मुझे इतना मजबूर कर दिया की मैंने तुम्हारी जिंदगी से ख़ुद को अलग कर लिया
आज 24 अप्रैल
बहुत ज्यादा याद आ रही थी तो लगी हमारी chats पढ़ने
पढ़ते पढ़ते मुझे सिर्फ़ नज़र आई मेरी घनघोर बेज्जती
मुझे जैसे एहसास सा हुआ की तुम्हें प्यार करते करते
मैं खुद का आत्मसम्मान दरिया में बहा चुकी थी
हर बार रूठने पर मैं जाती थी तुम कभी आए ही नहीं लौटकर
हर बार जलील होने के बावजूद तुम प्यार से पुचकार देते और मैं बस सब भूलकर तुम्हें प्यार देने लगती
मैं भूल जाती की तुमने मेरी इज्ज़त मेरे ही सामने घटाई थी...
आज 24 अप्रैल
बहुत ज्यादा याद आ रही थी तो लगी हमारी chats पढ़ने
पढ़ते पढ़ते मुझे सिर्फ़ नज़र आई मेरी घनघोर बेज्जती
मुझे जैसे एहसास सा हुआ की तुम्हें प्यार करते करते
मैं खुद का आत्मसम्मान दरिया में बहा चुकी थी
हर बार रूठने पर मैं जाती थी तुम कभी आए ही नहीं लौटकर
हर बार जलील होने के बावजूद तुम प्यार से पुचकार देते और मैं बस सब भूलकर तुम्हें प्यार देने लगती
मैं भूल जाती की तुमने मेरी इज्ज़त मेरे ही सामने घटाई थी...