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आखिरी फेरा है...❤️❤️✍️✍️(गजल)
जिसको चाहो उससे कुछ मत चाहो
जो वो स्वयं देरा है वही तेरा है

इक तेरे साथ से हैं मेरी रोशन राहें
इक तू न हो तो हर तरफ अंधेरा है

हमें फोन करके भी कोई नहीं बुलाता
तूने तो यार मुझे घर आके टेरा है

मत देख ए सनम हाले दिल मेरा
एक एक कतरे में चित्र तेरा उकेरा है

देख तेरा वहम भी टूट गया 'सत्या'
तू कहता फिरता था वो सिर्फ मेरा है

उसके आगमन से खुशनुमां मौसम
चांद ने पूनम का उजाला बिखेरा है

हम तो चलते- फिरते मुसाफिर हैं साहब
जहां पर ठहर गये वहीं अपना डेरा है

जज्बातों का यहां कोई मोल नहीं
जिसको देखना चाहा उसने मुंह फेरा है

तू साथ थी तो खुशियां थी हर तरफ
तेरे जाने से गमों ने आकर घेरा है

मैं पहुंच तो गया उसके मंडप तक
पर क्या करूं यार ये आखिरी फेरा है



© Shaayar Satya