...

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खुद से मोहब्बत
खुद से की मोहब्बत तब
जाके समझ आया
उनको पाने को हम खुद बरबाद हो रहे थे
पतवार बनके चला रहे थे
किसी और की ही नाव हम
और अपनी नाव में हम खुद पानी भर रहे थे
अपना समझ किसी गैर के
दीदार को तरसते हुए
मुश्किलों में भी लहरों को हम पार कर रहे थे
किनारे पे पहुच के जब
पतवार उसने फेकी
तब जाके पता चला हम बेकार मर रहे थे
© Anjaan