...

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हाशिये पे मैं
हाशिये पर हूँ ,तो क्या हुआ

रखा है मुझे हाशिये पे ,तो क्या हुआ

परीक्षाओं के अंक, वो भी हाशिये पे

गलतियों की आलोचना ,वो भी हाशिये पे

प्रशंसा की टिप्पणी ,वो भी हाशिये पे

शिक्षक के हस्ताक्षर ,वो भी हाशिये पे

बकवास नही लिख सकते,वो भी हाशिये पे

कागज का सौंदर्य बढ़ता है, हाशिये से

महत्वपूर्ण तिथियां लिखते है ,हाशिये पे

हूँ मैं भी महतवपूर्ण ,ये अब समझ गई

तभी तो मुझे भी रखा है हाशिये पे
🙂😎



© ऋत्विशा