रात
रात का समय है, सो गया ये जहां,
तमाम मुश्किलों के बंधन तोड़, खो गया ये जहां।
रात वो महफ़िल है, जिधर सपने बस्ते हैं,
दिन में जो महंगे हैं, रात में वो सस्ते हैं॥
जो पाना है दिन में, वो रात में ही पलता है,
रात काली नहीं, गहरी होती है; दीवानों से ये पता चलता है॥
जी लो हर रात को, ख़्वाबों से नाता जोडो,
तय करो जो पाना है, नामुमकिन की बेड़ियाँ तोड़ो॥
© Kapil Sareen
तमाम मुश्किलों के बंधन तोड़, खो गया ये जहां।
रात वो महफ़िल है, जिधर सपने बस्ते हैं,
दिन में जो महंगे हैं, रात में वो सस्ते हैं॥
जो पाना है दिन में, वो रात में ही पलता है,
रात काली नहीं, गहरी होती है; दीवानों से ये पता चलता है॥
जी लो हर रात को, ख़्वाबों से नाता जोडो,
तय करो जो पाना है, नामुमकिन की बेड़ियाँ तोड़ो॥
© Kapil Sareen
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