...

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हम उड़ते पक्षी
हम उड़ते पक्षी करते है अनंत गगन को पार,
एक पल अँधियारा छाया जो,
परंतु कर ना सका बढ़ते पद को तार- तार,
हार की मधुकारी सुगंध ने यू मुझको गोद लिया,
जीत के पंखुरियों को एक-एक कर तोड़ दिया।

आश्चर्यकारी हृदयी नयन,
चिन्ह छोड़ते है मेरे बढ़ते कदम,
रंग ना पायी किन्तु मोह मेरा कोमल मन,
परंतु छोड़ गयी चित्त पर गहरा दंभ।

हूं मैं एक अनायस पक्षी,
उड़ती हूं आसमां में ढूंढती हूं समुंद्र की गहराई,
यू हठी मन मेरा समझें ना वास्तविकता की धुंधली सच्चाई,
टूटे लड़खड़ाते क़दमो को कैसे नवीनता प्रदान करे ये पाई -पाई।

आचरण क्यों बनती है मेरे स्वपनों की दिवार,
मैं उड़ती पक्षी आसमां के पार,
ना उठा पाई बादलों का अनंत भार,
गुण है मेरे बदलाव के द्वार तोड़ना है बस ये संकुचित दीवार।।



_NightingaleShree