...

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मैं
मैं कभी बादलों से बरसती हुई बारिश की तरह
तो कभी कीसक चुल्हे की आग हुं ,

कभी छोटे बच्चे की किलकारियां की तरह चारों तरफ गूंजती हुं
तो कभी बुजुर्ग इन्सान की शब्द बन जाता हूं,

कभी...