...

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शौक
क्या करू मै अपने इस शौक का.
जो मुझे घनी अँधेरी रातो मे जंगलो की ओर लें जाने के लिए विवश करता हैँ....
मैंने पुरे मज़े लिए हैँ जंगल के विकट मोड़ उबद खाबड़ कटीली भयावह पगडनंड्डियों का.. वो भी अंधेरों मे
पर मेरे साथ कभी कोई घटना या दूरघटना नहीं घटी... भला हो उन जुगनूओ का जिन्होंने अपनी हल्की रौशनीयों से मेरा पथ प्रदर्शन कर मुझे खड्डो मे गिरने से बाचाया