...

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को नहिं जानत है
को नहिं जानत है जग में पवनसुत शक्ति तुम्हारी,
जो भी राम नाम गाता है मानुष उसके संकटहारी,

मंगल को ही जन्म लिया मंगलमय जीवन कर देते,
शरण तिहारी जो भी आये उसे दु:खी नहीं होने देते,

श्रीराम भजन जिस घर में हो वह पावन हो जाता है,
सबके मन ज्ञान की गंगा बहे मन पवित्र हो जाता है,


© प्रकाश