संभाल रखे हैं वो खत
संभाल रखे हैं वो ख़त जो तुमने दिये थे।
मुहब्बत के अरमान तुमने जिनमें सिये थे।
शमा की रोशनी में महफ़िल शबाब पर थी,
नशे में हर आशिक़ था, तुम शायद पिए थे।
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मुहब्बत के अरमान तुमने जिनमें सिये थे।
शमा की रोशनी में महफ़िल शबाब पर थी,
नशे में हर आशिक़ था, तुम शायद पिए थे।
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