भटका सा मुसाफिर
मंजिले धुंधली हो गई है,
रास्ते अनजाने हो गए है,
अब यह बस चारो ओर अंधेरा है,
जिससे मै वाकिफ हूं,
मै भटका सा मुसाफिर हूं।
दिल में गमों को छिपाए,
चेहरे पर नकली मुस्कान चड़ाए,
जोकर सा हंसाता फिर रहा हूं,
अंदर से टूटा हूं मै,
अब अंदर बस तन्हाइयां है,
जिससे मै वाकिफ हूं,
मै भटका सा मुसाफिर हूं।
...
रास्ते अनजाने हो गए है,
अब यह बस चारो ओर अंधेरा है,
जिससे मै वाकिफ हूं,
मै भटका सा मुसाफिर हूं।
दिल में गमों को छिपाए,
चेहरे पर नकली मुस्कान चड़ाए,
जोकर सा हंसाता फिर रहा हूं,
अंदर से टूटा हूं मै,
अब अंदर बस तन्हाइयां है,
जिससे मै वाकिफ हूं,
मै भटका सा मुसाफिर हूं।
...