...

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छोड़ दिया
जब छोड़ना ही था,
किन्हीं और की गलियों में हाथ मेरा,
तो अभी तक थामें रखा क्यों था,
यू झटके से खुद से दूर कर दिया ऐसे,
जैसें कभी दिल में रखा ही नहीं था।

जब दूर करना ही था तुम्हें हमें,
तो यू दिल के करीब लगाया ही क्यों था,
रास्तें घर की गलियों के दिखा कर,
उन गलियों में आने से रोका क्यों था।

अभी तक जो घर था मेरा,
वो रहा अब मेरा क्यों नहीं था,
अपना-अपना कह कर ना जाने,
कब का जुदा कर दिया,
दो आँसू दिखावटी के बहा कर,
यू हमें अपनी यादों में से भी बेगाना कर दिया।

उम्मीदों का ख्वाब सजा कर,
खुशीयों का ख्वाब दिखा कर,
अनजान लोगों के बीच छोड़ आये ऐसे हमें,
जैसे तुम्हारे दिल पर हक,
मेरा कभी था ही नहीं।
© shivika chaudhary