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होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक…!!!!
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक…
होंगे ही घात हिंसक।।
किंतु मृदुल भूमि में हम कहां जन्मे हैं-
बस कर्म करेंगे और लड़ेंगे…
हम इस जीवन समर के रण में हैं।।
विपत्तियों के सम्मुख रहेंगे खड़े…
देखते हैं आघात हैं कितने बड़े हैं।।
चाहे हो जाए जीवन में घनघोर अंधेर…
बाधाएं भी आकर बोले-
इस व्यक्तित्व को पहचानने में हो गई देर।।
रोक पाएंगी हमें कहां ये जंज़ीर…
हम तो स्वयं लिखेंगे अपनी तकदीर।।
एक दिन जीवन ज़रूर सरल होगा…
फ़िर परेशानियों का भी हल होगा।।
हौसला ही होगा मात्र एक सहारा…
बह जायेंगी फ़िर विपत्तिओं की धारा।।
चेहरे पर जीत का भाव होगा…
और जीवन में बदलाव होगा।।
हारने के बाद अवश्य मिलती है जीत…
और अंततः ये ही तो है जीवन की रीत।।।।
-ज्योति खारी