...

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तुम, मैं और बरसात
काश आये कोई ऐसी शाम सनम,
चल रहें हो किसी सुनी सड़क हम,
कड़के आसमां में बिजली अचानक,
थाम लो तुम मेरा हाथ तब डरकर,
सिमट जाओ मुझमें सीने से लगकर,
भर लूँ मैं फ़िर तुम्हें बाहों में सनम,
जाग उठे सब सोये अरमां भी तब,
दौड़ पड़े बिजली जिस्मों के अंदर,
पास आये फ़िर हम इस हद तक,
पी लूँ होंठो का रस होंठ चूमकर,
चलें हाथ फ़िर बदन पर इस क़दर,
महसूस हो हर अंग का नाप तब,
खो जाए इस तरह एक दूजे में,
लिपटा रहें जैसे साँप चंदन से,

© feelmyrhymes {@S}