कैसे कह दूं कि उसकी रज़ा पर मुझे सब्र न हुआ।।
हमे उसके बिछड़ने का गम सता रहा है,
जिसके मिलनें का सुख कभी मयस्सर ना हुआ ।
लोग खूबसूरत कहते है हमे, पर कैसे माने हम,
जो मेरे हुस्न का उनपर कोई असर ना हुआ।
वक्त के हाथों बरबाद हुए हैं, देर लगा दी हमने,
ले गया उसे कोई पर मुकम्मल मेरा सफर ना हुआ।
बदल दिया...
जिसके मिलनें का सुख कभी मयस्सर ना हुआ ।
लोग खूबसूरत कहते है हमे, पर कैसे माने हम,
जो मेरे हुस्न का उनपर कोई असर ना हुआ।
वक्त के हाथों बरबाद हुए हैं, देर लगा दी हमने,
ले गया उसे कोई पर मुकम्मल मेरा सफर ना हुआ।
बदल दिया...