...

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बिंदी
कभी कहीं पढ़ा था मैंने,
कि माथे की गोल बिंदी
आभास कराती है
कभी घूमती धरती का,
तो कभी शीतल चांद का..
ना जाने कितने रूप हैं,
इस गोल बिंदी के...
पर मां,
तुम्हारी ये गोल बिंदी
मुझे लगती है उस प्रखर सूर्य सी
तुम्हारे माथे के आकाश पर
सबसे उज्जवल तारा,
जो है मेरे ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु,
मेरे हृदय की ऊर्जा का स्रोत,
मेरे उद्भव से अवसान तक
जीवन-यात्रा की मार्गदर्शक..।।


© आद्या