जिन्दगी की बात क्या
आदमी की उम्र क्या,,दर्द की हयात क्या,,
मसअले है जिन्दगी के,,मौत की बात क्या,,
गर फलक तक नालो का असर होता ,,यारो,,
फिर सुधरते नही ये,,सुरत-ए-हालात क्या,,,
इक मौज-ए-तुफां थी,,जिसने कश्ती डूबाई,,
तन्दीक क्यों करे,,ना-खुदा की ख्वाहिशात क्या,
मजहबी दिवारो मे,,कैद कर दिए गए परिन्दे,,
आलिम अब पूछते है,,परवाज की जात क्या,,
बेवफा से इश्क करके,,बरबादीयो की महफिल सजाई,,
खुद को तबाह किया है हमने,,गैरो की अवकात क्या,,
© kuhoo
मसअले है जिन्दगी के,,मौत की बात क्या,,
गर फलक तक नालो का असर होता ,,यारो,,
फिर सुधरते नही ये,,सुरत-ए-हालात क्या,,,
इक मौज-ए-तुफां थी,,जिसने कश्ती डूबाई,,
तन्दीक क्यों करे,,ना-खुदा की ख्वाहिशात क्या,
मजहबी दिवारो मे,,कैद कर दिए गए परिन्दे,,
आलिम अब पूछते है,,परवाज की जात क्या,,
बेवफा से इश्क करके,,बरबादीयो की महफिल सजाई,,
खुद को तबाह किया है हमने,,गैरो की अवकात क्या,,
© kuhoo