उन्हें मैं नापसंद हो गयी
उन्हें मेरी बातें तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक वो रातों में ख़्वाब सजाते रहे।
पर जब मैंने जीवन के ख्वाबों को सच करने की बात कही
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।
उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक उनके सुर में सुर मिलाती रही।
पर जब मैंने थोड़े राग क्या बदले
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।
उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक मुझपर अधिकार जताने...
जब तलक वो रातों में ख़्वाब सजाते रहे।
पर जब मैंने जीवन के ख्वाबों को सच करने की बात कही
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।
उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक उनके सुर में सुर मिलाती रही।
पर जब मैंने थोड़े राग क्या बदले
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।
उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक मुझपर अधिकार जताने...