...

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उन्हें मैं नापसंद हो गयी
उन्हें मेरी बातें तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक वो रातों में ख़्वाब सजाते रहे।
पर जब मैंने जीवन के ख्वाबों को सच करने की बात कही
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।

उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक उनके सुर में सुर मिलाती रही।
पर जब मैंने थोड़े राग क्या बदले
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।

उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक मुझपर अधिकार जताने का उन्हें मौका मिलता रहा।
पर जब मैंने अपने अधिकारों की बात कही
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।

उन्हें मैं तब तलक ही अच्छी लगी
जब तलक उनके समय को बेकार करती रही।
पर जब मैंने उन्हें समय को पहचानने की बात कही
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।

उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक मैं उनकी मजबूरियां सुनती रही।
पर जब मैंने उनसे अपनी मज़बूरियों का ज़िक्र किया
उन्हें मैं नापसंद हो गयी।

उन्हें मैं तब तलक हीं अच्छी लगी
जब तलक मैं उनकी खुशी बनती रही।
पर जब मैंने अपनी खुशियां उनसे साझा की
उन्हें मैं नापसंद हो गयी

© shalini ✍️
#Life&Life