मंजिल से चाह
मिले हैं जो उम्मीदों को मेरे पंख अभी,
होगी कहाँ अब हौंसलों भरी उड़ान से मुझे ड़र कभी !
पल्को पे सँवारे रखुँ, अपनी सारे हसीन ख्वाबों को,
टूटने न दूँ कभी किसी भी हालत पे अपने इन ईरादों को ।
लोगों को जो कहना है कहें, मुझे नहीं है किसीसे...
होगी कहाँ अब हौंसलों भरी उड़ान से मुझे ड़र कभी !
पल्को पे सँवारे रखुँ, अपनी सारे हसीन ख्वाबों को,
टूटने न दूँ कभी किसी भी हालत पे अपने इन ईरादों को ।
लोगों को जो कहना है कहें, मुझे नहीं है किसीसे...