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निमंत्रण
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम ,है इंतजार किसका
किसके लिए बेकरार है मन का कोना
खुशियों को अपने समेट लो तुम
कर निमंत्रण स्वीकार, नए सूरज का
फिर से आगाज़ करो तुम
भर के दामन नई उम्मीदों से
खुशियों का जहां आबाद करो तुम
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम ,है इंतजार किसका
किसके लिए बेकरार है मन का कोना
खुशियों को अपने समेट लो तुम
कर निमंत्रण स्वीकार, नए सूरज का
फिर से आगाज़ करो तुम
भर के दामन नई उम्मीदों से
खुशियों का जहां आबाद करो तुम
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