तो क्या करते
वो आया था हतेली पर रोशनी लेकर,
उसको अपना छप्पर ना दिखाते, तो क्या करते?
अब लगी है आग, लपटे कमाल उठती है,
हम जो उसको न बचाते, तो क्या करते?
एक हुज्जुम, जलानें वाले हाथ ढूंढता है,
हम खुद को गुनेघार ना बताते, तो क्या करते?
सुलगते धुएं मे, शायद बाकी थे कुछ निशा मेरे,
हम अब उस राख को ना...
उसको अपना छप्पर ना दिखाते, तो क्या करते?
अब लगी है आग, लपटे कमाल उठती है,
हम जो उसको न बचाते, तो क्या करते?
एक हुज्जुम, जलानें वाले हाथ ढूंढता है,
हम खुद को गुनेघार ना बताते, तो क्या करते?
सुलगते धुएं मे, शायद बाकी थे कुछ निशा मेरे,
हम अब उस राख को ना...