बेगुनाह कलम
बेगुनाह सी कलम मेरी बस हाल ए दिल बंया करती हैं,
कह नहीं पाऊ जो किसी से बस वो जज्बात लिखती हैं,
राजनीति से दूर यह पर तख्त हिलाने की ताकत रखती हैं,
यह सोए हुए जमीर को बस उठाने का प्रयास करती हैं,
सोच के गहरे सागर से यह शब्दों के मोती चुनती हैं,
मेरी छिपी हर सोच को यह अदब से बाहर निकालती है,
रिश्तों के मोती...
कह नहीं पाऊ जो किसी से बस वो जज्बात लिखती हैं,
राजनीति से दूर यह पर तख्त हिलाने की ताकत रखती हैं,
यह सोए हुए जमीर को बस उठाने का प्रयास करती हैं,
सोच के गहरे सागर से यह शब्दों के मोती चुनती हैं,
मेरी छिपी हर सोच को यह अदब से बाहर निकालती है,
रिश्तों के मोती...