दो राही
एक राही ढूंढता आया किसी को
जिसका वो रफ्ता रफ्ता हो गया
एक को मंजिल से मोहब्बत हो गई थी
और दूसरा पहले की मोहब्बत में खो गया
कुछ कहने लगा वो, कुछ जिक्र किया
इश्क प्रेम और मोहब्बत का नाम...
जिसका वो रफ्ता रफ्ता हो गया
एक को मंजिल से मोहब्बत हो गई थी
और दूसरा पहले की मोहब्बत में खो गया
कुछ कहने लगा वो, कुछ जिक्र किया
इश्क प्रेम और मोहब्बत का नाम...