" प्रेम "
सोमरस या कहो तुम हाला,
प्रेम रस-सा न कोई हैं निराला,
एक घूंट जो इसका पीले,
भर जाए उसका प्रेम का प्याला।
बड़ा ही निर्मल, बड़ा ही शीतल,
बहती इसकी है धारा,
राधे- राधे नाम जपो,
पियो प्रेम का तुम एक प्याला।
जब भी प्रेम की याद सतावे,
आ जाओ तुम इस प्रेम की शाला ,
हाला से भी...
प्रेम रस-सा न कोई हैं निराला,
एक घूंट जो इसका पीले,
भर जाए उसका प्रेम का प्याला।
बड़ा ही निर्मल, बड़ा ही शीतल,
बहती इसकी है धारा,
राधे- राधे नाम जपो,
पियो प्रेम का तुम एक प्याला।
जब भी प्रेम की याद सतावे,
आ जाओ तुम इस प्रेम की शाला ,
हाला से भी...