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कविता

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कविता है भावों की सरिता,
दूध सार मक्खन है कविता ।
कवि का हृदय पसीजे जब,
तब धारा बन बहती कविता ।
विरह -वियोग, श्रृंगार -प्रेम का,
अद्भुत वर्णन करती कविता ।
वीर -रौद्र, देशभक्ति की,
हृत में जोश जगाती कविता ।
वीभत्स क्रूर करुणारस भरकर,
अश्रु आँख में लाती कविता ।
भक्तिभाव से ओतप्रोत,
ईश्वर का दरस कराती कविता ।
कविता है भावों की सरिता,
दूधसार मक्खन है कविता ।

स्वरचित :- नन्द गोपाल अग्निहोत्री