...

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तुम ही तो थी
मेरी अधूरे जीवन की
एक पूरी कहानी तुम ही तो थी
खुद टूट कर जोङा है मुझे
वो रहनुमा मेरी तुम ही तो थी।

प्रेम मोहताज नही नजदीकियों का
दूरियों मे भी सहेजा है यादों ने
होठों पर एक मुस्कुराहट थी
जिसकी वजह तुम ही तो थी।

जी पाया हूँ अंधेरों में कही
चला हूँ मूँदकर आंखे राहों मे सभी
गिर पङूगा तो संभाल लोगी तुम
वो विश्वास तुम ही तो थी।

मेरी तकदीर भी
बताती थी तुम्हारे हाथों की लकीरें
मेरे आशियां मे चमक बहुत है
वो चिराग-ए-नूर तुम ही तो थी।

वफा की कीमत नही होती
मोहब्बत मे रंजिशें नही होती
खो गये हम भीङ में
जब तुम नही थी।



© Rakesh Rahi