...

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छुपाता गया
मैं अपनी उल्फत तो उससे छुपाता गया,
पर ना साथ देकर भी रिश्ता निभाता गया,
उसके हर गम को खुद लेकर उसे हसाता गया,
पता था अंजाम फिरभी किस्मत आजमाता गया,
देके झूठी तसल्ली मैं मन को समझाता गया,
हुए ना ख़्वाब पूरे जो दिल को दिखाता गया,
उसे पाने की कोशिश में हर अच्छा बुरा रास्ता अपनाता गया,
चाहत में उसकी हर इल्ज़ाम मैं सर पे उठाता गया,
बिना जाने उसने बना ली दूरी पर मैं वफ़ा कमाता गया,
बीत चुका हैं एक अरसा मैं यादों को सीने में दबाता गया,
उसकी जुदाई का दर्द ही 'ताज' को लिखना सिखाता गया।
© taj