सफर
ये दिल अब भी तुमको याद करके मुस्कुराता है,
कभी कोई जो आहट सुनले , चौंक जाता है।
भले मुकर जाता है दिल होठों तक तेरा नाम लाने से,
पर जिस महफ़िल जाये तेरे ही नगमें, सरसराता है।।
मुमकिन तो नहीं कि हर किसी को, तू मुकम्मल हो,
फिर भी दौर-ए-सफर में खुद को बङा मजबूर पाता है।
वफा की गलियों में,जब भी चर्चा तेरे नाम का होता,
ये दिल खुद को याद करता है, कांप जाता है।।
#dying4her
©AK47
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कभी कोई जो आहट सुनले , चौंक जाता है।
भले मुकर जाता है दिल होठों तक तेरा नाम लाने से,
पर जिस महफ़िल जाये तेरे ही नगमें, सरसराता है।।
मुमकिन तो नहीं कि हर किसी को, तू मुकम्मल हो,
फिर भी दौर-ए-सफर में खुद को बङा मजबूर पाता है।
वफा की गलियों में,जब भी चर्चा तेरे नाम का होता,
ये दिल खुद को याद करता है, कांप जाता है।।
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