...

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जब बीते लम्हे याद आए!
जब था सब कुछ, पर अनजान था मैं !!
जब सब कुछ होता रहा, तब बेफिक्र था मैं!!
लम्हे यूं ही बीतते रहे , पर ज्ञान ना हुआ
होनी होती रही , पर भरोसा कायम था ।
धीरे-धीरे ही पर , ना जाने कब क्या से क्या हो गया???
जब याद आए वह पल , पर खुश ना हो पाया !!
वह लम्हा था , और आज भी कायम है ।
ना जाने कब भरोसा , आशा में कायम हो गई ??
पर समय चलता रहा पर जिंदगी कई साल पीछे चली गई!!
सोचने में भी जवाब मिलता नहीं यूं ही यूं ही सोचते-सोचते कुछ कर पाता नहीं !

जिंदगी के वह पल याद आए , तो लगे हर पल जीते चलो, हंस के , मुस्कुरा के! क्योंकि ,क्योंकि लम्हे यूं ही निकल जाते हैं ,पर होनी का पता नहीं...पता नहीं!!