मिलना अब श्रीराम कठिन है...
नफ़रत के इस दीर्घ दौर में,
अपनों की पहचान कठिन है।
हर मोड़ पर रावण बैठा है,
मिलना अब श्रीराम कठिन है।।
सह ना सकी नफ़रत की धूप,
फिर प्रेम की गंगा सूख गई।
वंशघाती बन बैठा...
अपनों की पहचान कठिन है।
हर मोड़ पर रावण बैठा है,
मिलना अब श्रीराम कठिन है।।
सह ना सकी नफ़रत की धूप,
फिर प्रेम की गंगा सूख गई।
वंशघाती बन बैठा...