सुनी सुनाई
यह कविता सुनी सुनाई है,
क्या फिर सुनने में बुराई है,ये है कई रसों से भरी हुई,
कई भावों से पटी हुई,
जो पंक्ति ये दोहराई है क्या फिर सुनने में बुराई है,
जो सुनना यदि कठिन होगा तो इतिहास अवश्य भ्रमित होगा,
तब मन देखेगा,पूछेगा मौन देखें अब साथ तेरा देता है कौन,
तुम बिन कविता जी...
क्या फिर सुनने में बुराई है,ये है कई रसों से भरी हुई,
कई भावों से पटी हुई,
जो पंक्ति ये दोहराई है क्या फिर सुनने में बुराई है,
जो सुनना यदि कठिन होगा तो इतिहास अवश्य भ्रमित होगा,
तब मन देखेगा,पूछेगा मौन देखें अब साथ तेरा देता है कौन,
तुम बिन कविता जी...