...

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हादसा
तोल-तोल कर बांटता रहा वो खुद को वक्त के हाथों
हालात का ये तक़ाज़ा हुआ तो कैसे हुआ

आया और चला गया, बिन बरसे, बादलों की तरह
तेरे शहर में ये तमाशा हुआ तो कैसे हुआ

दो वक्त की रोटी कमाने बेच आया जो ईमान भी
उसके जेहन का ये फ़ैसला हुआ तो कैसे हुआ

मर चुका है अब तो उन आंखों का पानी तक
इस हद तक ये मामला हुआ तो कैसे हुआ

उजड़ा ऐसा वो जड़ों से कि वापस न लौट सका
इस ज़िंदगी में ये 'हादसा' हुआ तो कैसे हुआ



© आद्या