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#मेरे गांव की मिट्टी
मेहनतकश लोग, धरती को सँवारते हैं,
पक्षियों के कलरव, मन को लुभाते है।
लहलहाते खेतों से,जब कोई राही गुजरता है,
फसलों की महक,झुकी हुई धान की बालियाँ,
बीच बीच में छोटी बड़ी ताल तलैया,
पारदर्शी निर्मल जल में, इठलाती बलखाती , फिरती चाँदी सी, छोटी छोटी मच्छलियाँ,
अनायास ही मन को मोहती हैं।
राही आनन्द में डूब जाता है।
यह नैसर्गिक सुख, धन या बल से नहीँ मिलता है।
इस सुख के लिए, गांव की पगडंडियों पर,
अपने पाँव चलना होगा, गांव को समझना होगा।
गांव से शहर आए लोगों को ,अपने गांव में रमना होगा ।।।

#जुगनू