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तिलिस्म-ए-महताब
#MoonlitMagic
चाँद जब भी आसमान में सजता है,
ब्रह्माण्ड के भवर में,
आहट बढ़ने लगती है,
एक खामोश रात में,
जब सब सो रहे होते हैं,
कहीं झींगुर राग छेड़ते हैं,
कहीं जुगनू रास्ता खोजते हैं,
वो आंखें,
जो धुर्व को देखती है,
और कहती है,
ये दुनिया कितने विस्मय से भरी है,
ये सूरज,
ये गोले,
ये धरती,
ये आसमान,
जादुई नजारे हैं कायनात के,
जिनमें हम रहते हैं,
चाँद की रोशनी में,
जब दिल कुछ कहता है,
तो वो सब कुछ सुनता है,
पर अक्सर हमें लगता है,
कि चाँद को हमारी कहानी से,
कुछ लेना-देना नहीं है,
चाँद भी तो रोता होगा,
जब दुनिया से टूटा होगा,
अपनी तकदीर के साथ,
वह भी अकेला होगा,
जब तन्हाई में आदमी उसे देखता है,
तो सारी दुनिया को,
अपने पसीने से भिगो देता है,
जादू वो कायनात का,
रात रात,
हम तक पहुंचाता है,
चाँद थक कर यूँही धरती पर नहीं आता....
© --Amrita
चाँद जब भी आसमान में सजता है,
ब्रह्माण्ड के भवर में,
आहट बढ़ने लगती है,
एक खामोश रात में,
जब सब सो रहे होते हैं,
कहीं झींगुर राग छेड़ते हैं,
कहीं जुगनू रास्ता खोजते हैं,
वो आंखें,
जो धुर्व को देखती है,
और कहती है,
ये दुनिया कितने विस्मय से भरी है,
ये सूरज,
ये गोले,
ये धरती,
ये आसमान,
जादुई नजारे हैं कायनात के,
जिनमें हम रहते हैं,
चाँद की रोशनी में,
जब दिल कुछ कहता है,
तो वो सब कुछ सुनता है,
पर अक्सर हमें लगता है,
कि चाँद को हमारी कहानी से,
कुछ लेना-देना नहीं है,
चाँद भी तो रोता होगा,
जब दुनिया से टूटा होगा,
अपनी तकदीर के साथ,
वह भी अकेला होगा,
जब तन्हाई में आदमी उसे देखता है,
तो सारी दुनिया को,
अपने पसीने से भिगो देता है,
जादू वो कायनात का,
रात रात,
हम तक पहुंचाता है,
चाँद थक कर यूँही धरती पर नहीं आता....
© --Amrita
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