...

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ख्वाइश
ख्वाहिश यही है
हर इंसान मुस्कुराए
मुझसे मिले जो अपना हर दर्द भूल जाए
हर घाव का मरहम बन जाऊं
हर किसी की तकलीफ को
चुटकियों में दूर कर पाऊं
ना किसी से बैर हो मेरा
दूर हो जाए हर किसी के जिंदगी का अंधेरा
रोशनी की किरण बन जाऊं
ईश्वर के फरिश्तों जैसा रिश्ता हो मेरा
ख्वाहिश इतनी है कि मरहम बन जाऊं
साजिद इतनी है कि सब के काम आऊ
मानवता का धर्म निभाऊ
जितना हो सके मानवता को बचाऊ
ख्वाइश इतनी है कि बस मरहम बन जाऊं



© Smriti Tiwari