खामोशी
ये कैसी कस्मकस हैं जिंदगी में,
किसी को ढूंढते है हम किसी में,
जो खो जाता है मिलकर जिंदगी में,
गजल है नाम उसका शायरी में,
निकल आते है आसूं हंसते हंसते
ये किस गम की कसक है हर खुशी में,
कही चेहरा, कही आंखें, कही लब
हमेशा एक मिलता है कई में,
चमकती है अंधेरों में खामोशी
सितारे टूटते है रात ही में,
सुलगती रेत में पानी कहां था
कोई बादल छुपा था दस्तगी में,
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी,
सलीका चाहिए आवारगी में
© Amrit yadav
किसी को ढूंढते है हम किसी में,
जो खो जाता है मिलकर जिंदगी में,
गजल है नाम उसका शायरी में,
निकल आते है आसूं हंसते हंसते
ये किस गम की कसक है हर खुशी में,
कही चेहरा, कही आंखें, कही लब
हमेशा एक मिलता है कई में,
चमकती है अंधेरों में खामोशी
सितारे टूटते है रात ही में,
सुलगती रेत में पानी कहां था
कोई बादल छुपा था दस्तगी में,
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी,
सलीका चाहिए आवारगी में
© Amrit yadav